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अमेरिका भारत पर टैरिफ क्यों लगाता है? पूरी जानकारी विस्तार से

भारत और अमेरिका दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएँ हैं। दोनों देशों के बीच व्यापार (Trade) बहुत पुराना है, लेकिन अक्सर इसमें उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। हाल ही में अमेरिका ने भारत के कई उत्पादों पर भारी-भरकम टैरिफ (Tariff) यानी आयात शुल्क लगा दिया है। इससे भारत के उद्योगों और व्यापारियों में चिंता बढ़ गई है। सवाल यह उठता है कि अमेरिका भारत पर टैरिफ क्यों लगाता है और वह भारत से क्या चाहता है?

टैरिफ क्या होता है?

टैरिफ एक तरह का टैक्स (कर) है जो किसी देश में दूसरे देश से आने वाले सामान पर लगाया जाता है।

  • अगर भारत अमेरिका को कपड़े बेचता है और अमेरिका उस पर 50% टैरिफ लगा देता है, तो इसका मतलब है कि उस कपड़े की कीमत अमेरिका में दोगुनी हो जाएगी।
  • इससे अमेरिकी कंपनियों को फायदा मिलता है और विदेशी (भारतीय) कंपनियों के प्रोडक्ट महंगे हो जाते हैं।

अमेरिका भारत पर टैरिफ क्यों लगाता है?

व्यापार घाटा कम करने के लिए

भारत अमेरिका को बहुत ज्यादा सामान बेचता है – जैसे दवाइयाँ, कपड़े, गहने, इंजीनियरिंग सामान। इसके मुकाबले अमेरिका भारत से कम सामान खरीदता है।

  • इससे अमेरिका को व्यापार घाटा (Trade Deficit) होता है।
  • घाटा कम करने के लिए अमेरिका भारतीय सामान पर टैरिफ लगाता है ताकि अमेरिकी लोग अपने देश का सामान ज्यादा खरीदें।

अपने उद्योगों की सुरक्षा

भारत का सामान अक्सर सस्ता होता है। अगर वह अमेरिका में बिना टैक्स के बिके तो अमेरिकी कंपनियाँ मुकाबला नहीं कर पाएँगी।

  • जैसे भारत से सस्ता स्टील, चमड़ा या ज्वेलरी अमेरिका जाए तो वहाँ की कंपनियाँ नुकसान में चली जाएँगी।
  • इसलिए अमेरिका अपने उद्योगों को बचाने के लिए भारतीय सामान पर ज्यादा टैक्स लगा देता है।

राजनीतिक दबाव बनाने के लिए

टैरिफ सिर्फ टैक्स नहीं बल्कि एक Political Tool भी है।

  • अमेरिका चाहता है कि भारत उसकी नीतियों का समर्थन करे, जैसे रूस से तेल कम खरीदे या चीन पर निर्भरता घटाए।
  • अगर भारत उसकी बात नहीं मानता तो टैरिफ लगाकर दबाव बनाया जाता है।

America First नीति

अमेरिका हमेशा चाहता है कि उसके देश में बने सामान की खपत बढ़े।

  • डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल से यह नीति और ज्यादा सख्त हो गई।
  • उन्होंने कहा कि अमेरिका में पहले अमेरिकी कंपनियों को बचाना होगा।

भारत को छूट (GSP) से बाहर करना

पहले अमेरिका ने भारत को GSP (Generalized System of Preferences) के तहत छूट दी थी।

  • यानी भारत का कुछ सामान बिना टैरिफ के अमेरिका में जाता था।
  • लेकिन 2019 में यह छूट खत्म कर दी गई क्योंकि अमेरिका को लगा कि भारत अमेरिकी कंपनियों को पूरा अवसर नहीं दे रहा।

किन-किन भारतीय उत्पादों पर टैरिफ लगा है?

अमेरिका ने भारत के कई महत्वपूर्ण उत्पादों पर टैरिफ लगाया है।

उत्पाद टैरिफ (2025 तक)
कपड़े और टेक्सटाइल 50% तक
गहने (Gems & Jewellery) 50%
चमड़ा और फुटवियर 50% से ज्यादा
मछली और मरीन प्रोडक्ट 58% तक
ऑटो पार्ट्स और स्टील 50%
कृषि उत्पाद (प्याज़, दालें आदि) 50% से ऊपर
फर्नीचर और होम डेकोर 50%
डेयरी उत्पाद 55% से ऊपर

छूट: दवाइयाँ, इलेक्ट्रॉनिक्स और ऊर्जा संसाधन पर फिलहाल कोई टैरिफ नहीं लगाया गया है।

अमेरिका भारत से क्या चाहता है?

भारतीय बाज़ार खोलना – अमेरिकी कंपनियाँ भारत में बिना रोकटोक अपने उत्पाद बेचना चाहती हैं।
रूसी तेल कम खरीदना – अमेरिका चाहता है कि भारत रूस से दूरी बनाए।
चीन पर निर्भरता घटाना – ताकि भारत अमेरिकी कंपनियों से ज्यादा खरीदे।
डिजिटल और डेटा नियम ढीले करना – ताकि Google, Amazon, Meta जैसी कंपनियों को फायदा मिले।
फेयर ट्रेड – भारत अपनी कंपनियों को जो सब्सिडी और टैक्स बेनिफिट देता है, उसे अमेरिका “अनफेयर” मानता है।

भारत के लिए फायदे और नुकसान

अगर भारत माने अगर भारत न माने
अमेरिकी टैरिफ कम हो सकता है टैरिफ लंबे समय तक रहेगा
भारतीय कंपनियों को अमेरिकी बाज़ार में आसानी भारतीय उद्योगों पर दबाव
अमेरिका से रिश्ते मजबूत होंगे अमेरिका पर निर्भरता घटाकर नए बाज़ार (यूरोप, एशिया, अफ्रीका) तलाशने का मौका
निवेश बढ़ सकता है “आत्मनिर्भर भारत” की दिशा में मजबूती

अमेरिका का टैरिफ लगाना सिर्फ आर्थिक कारणों से नहीं बल्कि राजनीतिक और रणनीतिक दबाव का हिस्सा भी है। अमेरिका चाहता है कि भारत उसकी नीतियों को मानकर बाज़ार खोले और रूस-चीन से दूरी बनाए।
भारत के लिए यह चुनौती और अवसर दोनों है। अगर भारत नए बाज़ारों की तलाश करता है और आत्मनिर्भरता बढ़ाता है, तो वह इस संकट को एक नए मौके में बदल सकता है।

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